पीएचडी करने का इरादा अपने दिल से हमेशा-हमेशा के लिए निकाल दिया…

ये कहानी मेरे एक दोस्त के रिश्तेदार की है. उत्तर प्रदेश में वो अपने कॉलेज की टॉपर थी. जेआरएफ़ भी निकाल लिया. अब पीएचडी के लिए यूपी की एक यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर से मुलाक़ात की. उन्होंने वादा किया कि इस बार तुम्हारा सेलेक्शन तय है…

अब प्रोपोज़ल के नाम पर प्रोफ़ेसर साहब बार-बार उसे बुलाने लगे. एक दिन प्रोफ़ेसर साहब ने कॉल करके कहा कि आज तुम्हारा प्रोपोज़ल फाइनल करना है, ऐसा करो कि घर ही आ जाओ, क्योंकि आज मैं यूनिवर्सिटी नहीं गया हूं.

उस लड़की ने सोचा कि सर तो पारिवारिक व्यक्ति हैं. घर पर उनकी पत्नी और बच्चे भी होंगे ही. सो वो घर चली गई. लेकिन जब घर पहुंची तो पता चला कि घर पर कोई नहीं है. वो थोड़ी सकपकाई. उनसे उनकी पत्नी के बारे में पूछा.

प्रोफ़ेसर साहब ने कहा कि परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. पत्नी बाज़ार गई है, बस कुछ देर में आ जाएगी. थोड़ा इत्मिनान हुआ. लेकिन साथ ही प्रोफ़ेसर साहब के रवैये से इस बात का भी अहसास हुआ कि उनके इरादे नेक नहीं हैं. ये बात समझते हुए उसने उनके घर के ही क़रीब रहने वाले एक दोस्त को मैसेज़ कर दिया कि वो जल्दी से प्रोफ़ेसर साहब के घर आ जाए.

इधर प्रोफ़ेसर साहब अपने असली रूप में आने लगे. कई सारे लालच देते हुए इससे गंदी बातें शुरू कर दी थी… लेकिन इसी बीच उस लड़की का दोस्त आ गया. प्रोफ़ेसर साहब दरवाज़ा ही नहीं खोल रहे थे. लड़के ने वहां काफ़ी हंगामा किया और प्रोफ़ेसर साहब के कई पड़ोसियों ने उसका साथ दिया तब जाकर दरवाज़ा खुला और लड़की सीधे हॉस्टल को भागी.

अगले दिन बस पकड़ कर हमेशा-हमेशा के लिए घर आ गई. वो कई दिनों तक सदमे में रही. पीएचडी करने का इरादा अपने दिल से हमेशा-हमेशा के लिए निकाल दिया…

#PhD_Story —1

नोट : अगर आपके पास भी कोई कहानी है, मुझे इनबॉक्स कर सकते हैं. आपका और आपके प्रोफ़ेसर का नाम गुप्त रखा जाएगा.

दूसरी कहानी कल रात 11 बजे…

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