ऐ ख़ुदा, या फिर ऐसी बारिश कर दे कि क़यामत ही आ जाए…
कल रात रूक रूक कर बरसती बारिश की हर बूंद कई घावों को सब्ज़ कर गई रात की ख़ामोशियों को तोड़कर तकलीफ़ का जलता लफ़्ज़ बन गई बेमौसम से आलम में बारिश की बूंदें रूह से बातें करती रहीं ये अनाम गुफ़्तगू कल दिन से शुरू होकर पूरी रात चलती रही… होंठ बुदबुदा […]
कन्हैया तुम कहां हो?
आ भी जाओ, तुम जहां हो! सत्य का चीर है अब दुःशासन के हवाले ज़ालिम कौरव के हाथ में आबरू के लाले! अब तो श्री राम भी हैं सियासत के हवाले तस्वीर की तरह हैं ख़ामोश अब भीष्म व कृपा दुर्योधन की सभा में द्रोण के मुंह पे हैं ताले युधिष्ठिर, भीम, सहदेव, अर्जुन, […]
क्या कहा ईद है आज?
आज ईद है शायद पर ये शायद क्यूं? क्या कहा ईद है आज? क्यूं कहा ईद है आज? अजब कशमकश का दरिया है ये कैसी ईद है आज? ईद होती तो घर पर होते मां के हाथों की बनी सेवइयां खाते अरसे बाद खुद से मिलते खुद को गाते, खिलखिलाते लेकिन हम अपने घरों पर […]
ईद के चांद से मेरी गुज़ारिश
ऐ! हिलाल-ए-ईद इतनी मन्नतों के बाद तू आई और यूं निकल गई! कभी तुझे देखने को हम बेताब थे उम्मीद की ईदी थी हौसलों के ख़्वाब थे लेकिन आज हम मजबूर हैं बहुत ही माजूर हैं तुझे देखकर भी ख़ुशिया मना नहीं सकते तेरी आमद की ख़ुशी में नग़मा भी गा नहीं सकते आख़िर, कैसे […]